हल्द्वानी । क्या आपने ब्लैक राइस यानी काले धान के बारे में सुना है । अगर नहीं तो चलिए हम बता देते हैं कि औषधीय गुणों से भरपूर इस काले चावल की पिछले कुछ सालों में काफी डिंमांड बढ़ी है , क्योंकि यह चावल दिल के मरीजों के साथ ही शुगर के मरीजों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है । मौजूदा समय में शहरों में रहने वाले लोग अपनी बदली जीवनशैली के चलते आने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ऐसे उत्पादों को हाथों हाथ खऱीदते हैं । तो आपको बता दें कि असम और मणिपुर जैसे राज्यों में पाए जाने वाले इस काले धान को अब उत्तराखंड में भी उगाया जा रहा है । राज्य के प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा ने हल्द्वानी (Haldwani) गौलापार में इस काले धान (Black Paddy) को उगाने में सफलता प्राप्त कर ली है ।
मिली जानकारी के मुताबिक , प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने छत्तीसगढ़ से थोड़ा बीज मंगाकर अपने खेतों में काला धान उगाया था । इसके लिए उन्होंने कुछ और व्यवस्था की । उनकी मेहनत और जैविक विधि से की गई खेती का परिणाम यह हुआ कि उन्होंने उत्तराखंड में भी इस काले धान को उगाने में सफलता हासिल कर ली है ।
नरेंद्र मेहरा का कहना है कि अमूमन भारतीय बाजारों में सामान्य रूप से चावलों की कीमत 25 रुपये से लेकर 200 रुपये तक के बीच में है , लेकिन इस ब्लैक राइस करीब 300 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिकता है । अगर इसे पूरी तरह जैविक विधि से उगाया जाए तो इसकी कीमत दोगुनी हो जाती है । अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 600 रुपये प्रतिकिलो हो जाती है । उनका कहना है कि अगर थोड़ी मेहनत करके इसे उगाया जाए तो किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है , क्योंकि यह ब्लैक राइस आसानी से बिकता है ।
इस प्रगतिशील किसान का कहना है कि इस ब्लैक राइस का बीज 1500 से 1800 रुपये प्रति किलो है, लेकिन इसकी मदद से प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल तक उत्पादन किया जा सकता है । खास बात ये है कि इसके लिए ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती ।
इन चालवों की खास बात यह है कि इनमें कार्बोहाईड्रेड की मात्रा कम होने के कारण यह शूगर के रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है । हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हाईकॉलेस्ट्राल, आर्थराइटिस और एलर्जी में भी ब्लैक राइस लाभकारी है ।